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देकुली शिव मंदिर

श्रेणी धार्मिक

जिले के लोक आस्था का केंद्र बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन है. इस मंदिर का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापर काल में किया गया था. एक ही पत्थर को तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
1956 में प्रकाशित अंगरेजी गजट में नेपाल के पशुपतिनाथ व भारत के हरिहर क्षेत्र के मध्य इस मंदिर के होने की बात कही गयी थी. कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले में भी इस मंदिर को अति प्राचीन बताया गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस्ट इंडिया कंपनी के चौकीदारी रसीद पर भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता था. मंदिर के पश्चिम भाग में एक तालाब है. जिसकी खुदाई करीब 1962 में छतौनी गांव निवासी संत प्रेम भिक्षु ने कार्रवाई थी.

संत प्रेम भिक्षु उतर बिहार के चैतन्य अवतार माने जाते थे. इस खुदाई में द्वापर काल की कई दुर्लभ धातु की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. जिसे अति प्राचीन मौल वृक्ष के पास स्थापित किया गया है. ग्रामीणों के मानें तो इसके नीचे करीब 12 फिट खुदाई के बाद ग्रेनाइट पत्थर प्राप्त होते है.
धार्मिक न्यास बोर्ड से मंदिर को जोड़ने के लिए बिहार सरकार व भारत सरकार को प्रार्थना पत्र भेजा गया. इसके ऐतिहासिक संदर्भ की चर्चा करते हुए इसे जानकी सर्किट व चित्रकुट सर्किट से जोड़ने का प्रयास किया गया. किंतु महंथों ने इसे व्यक्ति गत संपत्ति बताकर मामला को उलझा दिया. हालांकि मंदिर में पूजा अर्चना करने पर कोई बाधा नहीं है. कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर श्री यंत्र लगा है शिव लिंग पर जलाभिषेक के बाद जो भी मन्नतें मानी जाती है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

फोटो गैलरी

  • देकुली धाम मुख्य द्वार
    देकुली धाम मुख्य द्वार

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

हवाई मार्ग से नजदीकी हवाई अड्डा पटना पंहुचा जा सकता है |

ट्रेन द्वारा

रेल मार्ग से नजदीकी रेलवे स्टेशन मुजफ्फरपुर या सीतामढ़ी पंहुचा जा सकता है

सड़क के द्वारा

रोड मार्ग से बस सेवा द्वारा देकुली शिव मंदिर पंहुचा जा सकता है |